पीएम मोदी ने की 'परीक्षा पे चर्चा', बच्चों को दिया एग्जाम प्रेशर से लड़ने का मंत्र
- Posted on February 10, 2025
- देश
- By Bawal News
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पीएम ने नरेंद्र मोदी ने आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से परीक्षा के तनाव को कम करने के उपायों पर चर्चा की. उन्होंने ‘परीक्षा पे चर्चा' के दौरान स्कूली बच्चों को नेतृत्व क्षमता के गुर सिखाए. गंभीर मुद्दों को बड़ी सरलता और सहजता से समझाने का प्रयास किया. कहा कि लीडर के लिए टीमवर्क सीखना बहुत जरूरी है. छात्रों से बातचीत में ने कहा कि मॉनीटर कहे कि आप समय पर आइए, फिर मैं आऊंगा, तो? उसे खुद वक्त पर आना होगा, उसे होमवर्क करना होगा. उसे सभी की मदद करनी होगी, कठिनाइयां समझनी होंगी, देखभाल करनी होगी. लोग सोचेंगे कि ये तो मेरा ख्याल रखता है. आपको रिस्पेक्ट देगा. आपको खुद, अपने व्यवहार को बदलना होगा. आपको अगल-बगल के लोग स्वीकार करेंगे लीडर के तौर पर.
अंदर की चुनौतियों से लड़ना होगा
पीएम मोदी ने छात्रों को चुनौतियों से लड़ने का मंत्र भी दिया. कहा, "आपके अपने अंदर की चुनौतियों से लड़ना होगा. मान लीजिए, अगर पिछली बार आपके 30 अंक आए थे, तो आपको इस बार कोशिश करनी चाहिए कि आप इस बार 35 अंक लेकर आए. ऐसा करके आपको अपने लक्ष्य की सीमा को बढ़ाना चाहिए. यह आपके लिए एक चुनौती है. इसके लिए आपको खुद की चुनौतियों से लड़ना होगा." मोदी की स्टूडेंट्स के साथ परीक्षा पे चर्चा पूरे एक घंटे तक चली. इस बीच बच्चे सवाल पर सवाल पूछते गए और पीएम उन सभी के उत्तर देते गए. कुछ कहानियों के साथ तो कुछ उदाहरण और प्रैक्टिस के साथ. अंत में मोदी जी ने बच्चों को आने वाली परीक्षा के लिए शुभकामनाएं दीं. इस दौरान पीएम ने बच्चों से मजाकिया अंदाज में कहा- 'ज्यादा दादागिरी मत करना. कि हमारी डायरेक्ट पहचान है.'
फेल होने से जिंदगी रुक नहीं जाती है
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्कूल में 30-40% बच्चे फेल होते हैं, उनका क्या होता है. फेल होने से जिंदगी रुक नहीं जाती है. आपको तय करना होगा कि जीवन में सफल होना है कि किताबों से. जीवन में सफल होने का एक उपाय ये होता है कि आप अपने जीवन की जितनी विफलताएं हैं, उसे अपना टीचर बना लें. अपनी विफलताओं को टीचर बना लें. जीवन सिर्फ परीक्षाएं नहीं हैं. इसे समग्रता में देखना चाहिए. हमारे अंदर परमात्मा ने कुछ कमियां भी रखी हैं कुछ विशेषताएं भी दी हैं. विशेषताओं पर ध्यान दीजिए. फिर कोई नहीं पूछेगा कि 10वीं-12वीं में कितने मार्क्स आए थे. जीवन बोलना चाहिए, मार्क्स नहीं.'
अभिभावकों और शिक्षकों से पीएम की अपील
मोदी ने कहा कि 'ये जो मुसीबत है उसका कारण विद्यार्थी कम है. सबसे पहला दोष है उसके परिवार के लोगों का और दूसरे टीचर्स का. उन्होंने कहा कि बच्चे को अच्छा आर्टिस्ट बनना है, बहुत अच्छी ड्रॉइंग करता है. लेकिन वो कहते हैं नहीं तुम्हें इंजीनियर बनना, डॉक्टर बनना है. फिर उसमें उसका जीवन हमेशा तनाव में रहता है. तो सबसे पहले मेरी मां बाप और परिवार जनों से आग्रह है कि सबसे पहले तो आप अपने बच्चों को जानने, समझने का प्रयास कीजिए. उनकी इच्छाओं को समझिए. उनकी क्षमताओं को समझिए. उसे मॉनिटर कीजिए, हो सके तो उसकी मदद कीजिए.' वहीं स्कूल में शिक्षक ऐसे वातावरण बना देते हैं. जो 4 बच्चे होशियार होते हैं, बार-बार उनको पुचकारते हैं, बाकियों को बिल्कुल गिनते ही नहीं हैं. इससे बच्चे डिप्रेस होते हैं. टीचर्स से भी मेरी आग्रह है कि विद्यार्थियों के बीच में कोई तुलना मत कीजिए. बाकी विद्यार्थियों के सामने दूसरे को टोकना बंद कीजिए. कुछ कहना है तो उससे अलग से बात करके मोटिवेट करने के अंदाज में कहिए.'
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