भारत और रूस के बीच रणनीतिक और कारोबारी नजदीकियां लगातार बढ़ रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों देशों के सामने नई व्यापारिक चुनौतियां खड़ी हुई हैं. ऐसे में भारत और रूस मिलकर इन चुनौतियों से निपटने के रास्ते तलाश रहे हैं. इसी क्रम में भारत ने रूस के बाजार में अपना निर्यात बढ़ाने की योजना तैयार की है. भारत ने ऐसे करीब 300 उत्पादों की पहचान की है, जिन्हें रूस में निर्यात किया जा सकता है. इनमें इंजीनियरिंग उत्पाद, दवाइयां, कृषि उत्पाद और रसायन प्रमुख हैं.
फिलहाल भारत इन श्रेणियों में रूस को केवल 1.7 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस इन्हीं उत्पादों में कुल 37.4 अरब डॉलर का आयात करता है. अधिकारी के अनुसार, यह अंतर भारतीय निर्यातकों के लिए बड़े अवसर को दर्शाता है. निर्यात बढ़ने से भारत और रूस के बीच व्यापार घाटा भी कम हो सकता है, जो वर्तमान में करीब 59 अरब डॉलर है. इस कदम से अमेरिका की चिंता बढ़ना तय माना जा रहा है, खासकर तब जब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. भारत अब अपने निर्यात के लिए रूस जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख कर रहा है.
रूस से आयात में कच्चे तेल की बड़ी भूमिका
पिछले कुछ वर्षों में रूस से भारत का आयात तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2020 में यह 5.94 अरब डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 64.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इसका सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है, जो 2 अरब डॉलर से बढ़कर 57 अरब डॉलर हो गया है. वर्तमान में भारत अपने कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 21 प्रतिशत रूस से खरीदता है. इसके अलावा, उर्वरक और वनस्पति तेल भी रूस से बड़े पैमाने पर आयात किए जाते हैं.
अन्य क्षेत्रों में भी अवसर
अधिकारी ने बताया कि इन प्रमुख क्षेत्रों के अलावा कपड़ा, परिधान, चमड़ा उत्पाद, हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और हल्के इंजीनियरिंग उत्पादों में भी निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं. भारत इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी है और रूस का उपभोक्ता बाजार काफी बड़ा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उत्पादों की रूस के बाजार में हिस्सेदारी अभी 1 प्रतिशत से भी कम है, जबकि इनकी मांग अधिक है. वितरण और आपूर्ति चैनलों को मजबूत कर भारत इस मांग का लाभ उठा सकता है.



