प्रतिबंध लगे या साजिश हुई, स्वयंसेवकों ने कभी नहीं दिखाई कटुता... RSS के शताब्दी समारोह में बोले PM मोदी

  • Posted on October 1, 2025
  • देश
  • By Bawal News
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The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (83)-9LhW59Nr69.jpg

New Delhi: दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन के राष्ट्र योगदान को दर्शाते हुए विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया. इस मौके पर पीएम ने अपने संबोधन में कहा, संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता नहीं दिखाई. चाहे प्रतिबंध लगे, या साजिश हुई हो. सभी का मंत्र रहा है कि जो अच्छा है, जो कम अच्छा, सब हमारा है. मोदी ने कहा, विभाजन की पीड़ा ने लाखों परिवारों को बेघर किया, स्वयंसेवक सबसे आगे खड़े थे. यह केवल राहत नहीं राष्ट्र की आत्मा को संबल देने का काम था. 1956 में अंजार के भूकंप में भी स्वयं सेवक राहत बचाव में जुटे थे. 

संघ को मुख्य धारा में आने से रोकने के लिए हुए षड्यंत्र

प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ का लक्ष्य एक ही रहा एक भारत-श्रेष्ठ भारत. राष्ट्र साधना की यात्रा में ऐसा नहीं कि संघ पर हमले नहीं हुए, आजादी के बाद भी संघ को मुख्य धारा में आने से रोकने के लिए षड्यंत्र हुए. पूज्य गुरुजी को जेल तक भेजा गया. उन्होंने कहा कि संघ के बारे में कहा जाता है कि इसमें सामान्य लोग मिलकर असामान्य काम करते हैं. संघ ऐसी भूमि है, जहां से स्वयं सेवक की अहं से वयं की यात्रा शुरू होती है. शाखा में व्यक्ति का सामाजिक, मानसिक विकास होता है. उनके मन में राष्ट्र निर्माण का भाव पनपता रहता है

संघ की एक धारा बंटती गई, राष्ट्र निर्माण करती गई

मोदी ने कहा कि जिन रास्तों में नदी बहती है,उसके किनारे बसे गांवों को सुजलां सुफलां बनाती है. वैसे ही संघ ने किया. जिस तरह नदी कई धाराओं में अलग अलग क्षेत्र में पोषित करती है,संघ की हर धारा भी ऐसी ही है. समाज के कई क्षेत्रों में संघ लगाातार काम कर रहा है. संघ की एक धारा, बंटती तो गई, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य, भाव एक ही है, राष्ट्र प्रथम. अपने गठन के बाद से ही RSS विराट उद्देश्य लेकर चला राष्ट्र निर्माण, इसके लिए जो रास्ता चुना. व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जो पद्धति चुनी वह थी शाखा. उन्होंने कहा कि 'अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश की जीत' यह भारतीय संस्कृति के विचार और विश्वास का कालजयी उदघोष है. ऐसे महान पर्व पर 100 साल पहले RSS की स्थापना संयोग नहीं था. ये हजारों साल की परंपरा का पुनरुत्थान था जिसमें राष्ट्र चेतना समय समय पर उस युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए अवतारों में प्रकट होती है. संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है.

संघ के स्वयंसेवकों के काम को समाज देखता है: दत्तात्रेय होसबोले 

आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने अपने संबोधन में कहा कि संघ राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिलाषी हैं. भारत को कई बार लेकर कई बार निगेटिव नैरेटिव पेश किए जाते हैं. लेकिन संघ चाहता है कि भारत के बारे में विमर्श सत्य के आधार पर होना चाहिए. सकारात्मक होना चाहिए. समरसता, जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं, पर्यावरण संरक्षण, देश भर में स्वदेशी का वातावरण और नागरिक कर्तव्य को लकर जागरुक करना ये संघ का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि देश के किसी भी छोर पर आप जाएं वहां संघ का स्वयंसेवक मिल जाएगा. ट्रेन में मिल जाएंगे. मेरे जैसे हजाारों कार्यकर्ता हैं. संघ के कार्यकर्ता का काम देखते हुए समाज संघ को जानता है. संघ के स्वयंसेवकों के काम को समाज देखता है.

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