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रघुवर दास बीजेपी में शामिल हो गये हैं. पार्टी के कार्यकर्ताओं को पता है कि अब संगठन में रघुवर बड़े ओहदे पर नजर आयेंगे. राजनीति चमकाये रखनी है तो रघुवर की कृपा लेनी होगी. इसलिए रघुवर का वेलकम करने कई ऐसे नेता भी आये थे जो उनके एहसान तले दबे हुए हैं, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद उनसे किनारा कर लिया था.

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रांची : वी विल कम बैक सून... हम लड़ेंगे और जीतेंगे. हार से हताश होने की कोई जरूरत नहीं है. 1984 में बीजेपी सिर्फ दो सीटें जीती थी. उस वक्त लोग हमारी खिल्ली उड़ाते थे, लेकिन आज देश के 22 राज्यों में एनडीए और बीजेपी की सरकार है और मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गये. बीजेपी की सद्स्यता ग्रहण करने के बाद ओडिशा के पूर्व राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह बातें कही. बीजेपी में शामिल होने के बाद रघुवर के बयान ने साफ कर दिया कि अब बीजेपी का एजेंडा और मुद्दा क्या होगा. बीजेपी में शामिल होने और उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रघुवर ने कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चलायेंगे. बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर भी वे संघर्ष करेंगे.

 

केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ऐसे नजर आये

 

बीजेपी मुख्यालय में रघुवर गुट के नेता और कार्यकर्ता काफी खुश नजर आ रहे थे. कमाल खान, संजय जायसवाल समेत कई नेताओं के चेहरे खिले हुए थे, लेकिन बाबूलाल मरांडी के करीबी नेताओं के चेहरे मुरझाये हुए थे. बाबूलाल मरांडी भी खुश नजर नहीं आ रहे थे. शायद उन्हें इस बात का एहसास है कि रघुवर लाये गये हैं तो जरूर उनका कद रघुवर से छोटा कर दिया जाएगा. उधर रघुवर दास के स्वागत के लिए कई ऐसे नेता भी पहुंचे थे, जिन्होंने रघुवर की कृपा से संगठन और सरकार में बड़ी ऊंची छलांग लगाई है, लेकिन उनके चुनाव हारने के बाद दूरी बना ली थी. रघुवर को अपना चेहरा दिखाने के लिए कार्यकर्ताओं में होड़ लगी थी. इसी दौरान एक जाना पहचाना चेहरा भी भीड़ के अंदर से रघुवर का वेलकम करने के लिए सामने आता है. रघुवर आगे और वह शख्स पीछे. ये व्यक्ति थे केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ. संजय सेठ को संसद पहुंचाने में रघुवर का बड़ा रोल है. इसलिए शायद संजय सेठ ने प्रोटोकॉल की चिंता छोड़ पहले भीड़ को चीरते हुए रघुवर का स्वागत किया, लेकिन इस दृश्य ने बता दिया कि रघुवर में दम तो है.

 

खरमास में ही मिलेगी नई जिम्मेदारी !

 

रघुवर दास बीजेपी में शामिल तो हो गये लेकिन संगठन में उनकी क्या भूमिका होगी यह अबतक साफ नहीं हुआ है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी रघुवर दास ने फिर से वही पुराना जवाब दियाकि वे जनता और पार्टी के सेवक हैं. उन्हें पद का कोई लोभ नहीं. वे साधारण कार्यकर्ता बनकर संगठन में काम करना चाहते हैं. भले ही रघुवर न कहें, लेकिन यह तय है कि जल्द ही उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेवारी मिल सकती है. हो सकता है खरमास खत्म होने के पहले ही उन्हें नई जिम्मेदारी मिल जाए. आम तौर पर लोग खरमास में कोई नया काम नहीं करते. खरमास खत्म होने में महज 4 दिन बचे हैं, लेकिन उससे पहले रघुवर ने सक्रीय राजनीति में कदम रखा है तो निश्चित ही केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर के लिए कुछ बड़ा सोच कर रखा होगा.

 

रघुवर का शानदार वेलकम

 

अब बात करते हैं रघुवर दास के आने के बाद बीजेपी और बीजेपी दफ्तर के माहौल का. रघुवर दास साधारण कार्यक्रम में बीजेपी में शामिल हुए. उन्हें बीजेपी में शामिल कराने न कोई केंद्रीय मंत्री आया न कोई पदाधिकारी. प्रदेश के नेताओं के सामने बीजेपी मुख्यालय के पीछे टेंट लगाकर उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया, लेकिन बीजेपी दफ्तर में रघुवर का स्वागत बड़ा शानदार हुआ. ढोल-नगाड़ों, आतिशाबाजी और पारंपरिक नृत्य-संगीत के साथ रघुवर का वेलकम किया गया.

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