जासूस नहीं है विष्णुगढ़ में मिला बांग्लादेशी डिवाइस पहना गिद्ध, रेडियो टैगिंग की यह है असली वजह
- Posted on August 12, 2024
- झारखंड
- By Bawal News
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पक्षी की टैगिंग (RSPB, UK) की 'ढाका' स्थित टीम ने किया है, जिसके कारण उसके पंजे पर मौजूद रिंग में 'ढाका' अंकित है. BNHS द्वारा प्रमण्डल से साझा की गई जानकारी के अनुसार इस पक्षी को 15 मई, 2024 को टैग किया गया था.
हजारीबाग : हजारीबाग के विष्णुगढ़ इलाके में एक चोटिल प्रवासी गिद्ध मिलने के बाद सनसनी फैली हुई है. गिद्ध के शरीर में लगे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और मैटेलिक रिंग मैं बांग्लादेश का पता पाए जाने के बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है. फिलहाल वन पदाधिकारी की जांच कर रहे हैं. विष्णुगढ़ के जमनीजारा गांव के लोगों ने सोमवार सुबह 9 बजे घायल गिद्ध को दिखा. गिद्ध के शरीर में लगे गैजेट एस को देख लोगों को शक हुआ और उन्होंने वन पदाधिकारी और पुलिस को मामले की जानकारी दी. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर घायल गिद्ध को कब्जे में लिया. गिद्ध के शरीर पर सोलर रेडियो कॉलर लगा मिला जिसमें लिखा था, "If found Please Contact, john.mallord@rspb.org.uk, OT.504G s/n: 236226". उसके पंजे पर एक Metallic Ring भी लगा पाया गया, जिसपर "GPO BOX-2624 DHAKA, B67" लिखा हुआ है.
आरएसपीबी के वैज्ञानिकों ने को है टैगिंग
पक्षी के बारे में विशेषज्ञों से सम्पर्क किये जाने पर इसकी पहचान White Backed Vulture (Gyps bengalensis) के तौर पर की गयी. यह वन्य प्राणी संरक्षण अधिनयम, 1972 के अन्तर्गत Schedule-1 की श्रेणी में आता है। भारत में विलुप्तप्राय पक्षियों पर शोध के लिए प्राधिकृत संस्था बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) से सम्पर्क करने पर पता चला की पक्षी की रेडियो टैगिंग जिस संस्था द्वारा की गई है वह Royal Society for the Protection of Birds (RSPB), UK है जिसके वैज्ञानिकों ने यह टैगिंग की है. इसके विलुप्त होती संख्या को रोकने के लिये इसकी टैगिंग की जाती है.
1214 किलोमीटर दूरी तय कर पहुंचा है गिद्ध
बताया जाता है की पक्षी की टैगिंग (RSPB, UK) की 'ढाका' स्थित टीम ने किया है, जिसके कारण उसके पंजे पर मौजूद रिंग में 'ढाका' अंकित है. BNHS द्वारा प्रमण्डल से साझा की गई जानकारी के अनुसार इस पक्षी को 15 मई, 2024 को टैग किया गया था और इसका आगमन 08 अगस्त, 2024 को हजारीबाग जिले के कोनार डैम में हुआ है. हजारीबाग पहुंचने से पहले पक्षी ने 1214 किलोमीटर की दूरी तय की है तथा 921 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक उड़ा है. फिलहाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों की निगरानी में पक्षी की देखभाल की जा रही है विभाग ने कहा है पक्षी को लेकर जो भी भ्रम या अफवाह फैलाया जा रहा है वह सही नहीं है.
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