धनबाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने इरफान से नहीं की बात, सिविल सर्जन नियुक्ति के खिलाफ सीधे खटखटा दिया सीएम का दरवाजा

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Ranchi : धनबाद कांग्रेस के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने अपनी ही पार्टी के मंत्री इरफान अंसारी के फैसले के खिलाफ मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया है. मामला है धनबाद में सिविल सर्जन की नियुक्ति का. हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी की अनुशंसा के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कई जिलों के सिविल सर्जन समेत 275 चिकित्सा कर्मियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की थी. डॉ आलोक विश्वकर्मा को धनबाद का सिविल सर्जन बनाया गया. डॉ आलोक पहले भी धनबाद के सिविल सर्जन रह चुके हैं. इस दौरान उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे थे. इसे ही लेकर जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ने विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है और डॉ आलोक की नियुक्ति रोकने की मांग की है. इस तरह संतोष सिंह ने अपनी ही पार्टी के मंत्री के फैसले को चुनौती दे दी है. पहले स्वास्थ्य मंत्री से बात करने के बजाए मुख्यमंत्री के पास शिकायत पहुंचाना उन्हें ज्यादा उचित लगा. बवाल न्यूज से बातचीत में जिलाध्यक्ष ने बताया कि अभी उन्होंने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा है और एक-दो दिन में स्वास्थ्य मंत्री से मिलेंगे. 

सीएम को लिखे अपने पत्र में संतोष सिंह ने कहा है कि, डॉ आलोक विश्वकर्मा करीब 20 सालों तक धनबाद जिला में पदस्थापित थे और अब एक बार फिर उन्हें धनबाद का सिविल सर्जन नियुक्त कर दिया गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर डॉ आलोक धनबाद में ही क्यों रहना चाहते हैं. जबकि धनबाद में पदस्थापन के दौरान उनपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं. स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की खरीद से लेकर अस्पतालों के निर्माण तक के घोटाले की शिकायतें सामने आई थी. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थापित डॉक्टरों से निजी लाभ के लिए भी वे दबाव बनाते थे. ट्रांसफर-पोस्टिंग में पैसे के लेन-देन की भी शिकायतें आई थी. सिजुआ के उपस्वास्थ्य केंद्र की एक रिटायर्ड एएनएम के अवकाश की अवधि का भी उन्होंने वित्तीय गड़बड़ी करते हुए भुगतान कर दिया था. डॉ आलोक के कार्यकाल में ही सदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अकाउंट मैनेजर ने 6 लाख रुपये की दवा की अनियमित खरीद भी की थी.

संतोष सिंह ने कहा कि  आवास योजना में भी डॉ आलोक पर गड़बड़ी का आरोप लगे थे. उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर अपात्र व्यक्तियों को सरकारी आवास आवंटित था, जबकि वास्तविक जरूरतमंद वंचित रह गए थे. नर्सिंग सटाफ की बहाली, उपकरणों की आपूर्ति तथा भवन मरम्मत जैसी योजनाओं में भी उनके कार्यकाल में भारी वित्तीय गड़बड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति की फिर से नियुक्ति धनबाद की जनता के विश्वास और स्वास्थ्य की पारदर्शिता पर कुठाराघात है, इसलिए मामले में तत्काल हस्ताक्षेप करते हुए सिविल सर्जन की नियुक्ति पर रोक लगाएं.

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