DGP मुख्यमंत्री का झुनझुना नहीं... पुलिस-प्रशासन को बंधक बनाकर हेमंत खेल रहे सत्ता का खेल, बाबूलाल ने लगाये आरोप

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (68)-x68VjcpFOX.jpg


Ranchi: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आज फिर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा है कि हेमंत सरकार में झारखंड की पुलिस व्यवस्था और प्रशासन को बंधक बनाकर सत्ता का खेल खेला जा रहा है. यही वजह है कि 17 सीनियर डीएसपी के प्रमोशन की प्रक्रिया महीनों से ठप पड़ी है. पुलिसकर्मी अपने हक से वंचित हैं, क्योंकि सरकार ने एक अवैध नियुक्ति को जबरदस्ती थोप रखा है. संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाकर सिर्फ और सिर्फ अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए पूरी व्यवस्था को पंगु बना दिया है.
गुनाहों को ढकने के लिए दी DGP की कुर्सी
बाबूलाल ने कहा कि UPSC ने अनुराग गुप्ता को प्रोन्नति बैठक में शामिल करने से इनकार कर दिया और इसी कारण बैठक तक रद्द कर दी गई, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन निर्लज्ज होकर लोकतंत्र का गला घोटने पर उतर आए हैं. राज्य सरकार ने जिन अनुराग गुप्ता को DGP बनाकर बिठा रखा है, उन्हें न तो UPSC मान्यता देता है, न ही भारत सरकार. यहां तक कि वे अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं, सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं और वेतन तक नहीं पा रहे हैं. फिर भी सत्ता की कुर्सी बचाने और अपने गुनाहों को ढकने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने उन्हें DGP की कुर्सी थमा दी.
काले कारनामों का चिट्ठा गायब करने को तत्पर
उन्होंने कहा कि केवल पुलिस ही नहीं, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी इन्हीं “DGP” के कहने पर रातोंरात हेमंत सोरेन के सभी काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा गायब करने को तत्पर है, जिसका उदाहरण हाल ही में हुई घटना है. कहा कि, जब UPSC और गृह मंत्रालय ही अनुराग गुप्ता को DGP मानने से इंकार कर रहे हैं तो झारखंड सरकार किस आधार पर उन्हें इस पद पर बनाए हुए है? मुख्यमंत्री को पता है कि उन्होंने नाजायज एवं गैर कानूनी तरीके से एक रिटायर्ड व्यक्ति को जबरन डीजीपी की कुर्सी पर बिठा रखा है, इसलिये वो बिना डीजीपी के ही बैठक करने के लिये यूपीएससी से अनुरोध कर रहे हैं. 
सिस्टम को माफियाओं की सेवा में झोंक दिया
मरांडी ने आगे कहा कि अगर पुलिस प्रमोशन जैसी नियमित प्रक्रिया ही रुक जाए तो क्या इसका सीधा असर पूरे राज्य की कानून-व्यवस्था और पुलिस मनोबल पर नहीं पड़ेगा. असलियत यही है कि हेमंत सरकार ने पूरे सिस्टम को अपने भ्रष्ट नेटवर्क और माफ़ियाओं की सेवा में झोंक दिया है. DGP की कुर्सी भी अब उनके लिए एक “सुरक्षा कवच” बन गई है ताकि उनके काले कारनामे बाहर न आ सकें और वे जेल से दूर रह सकें. हेमंत सोरेन को समझना होगा कि DGP संवैधानिक पद है, मुख्यमंत्री के हाथ का झुनझुना नहीं है कि जिसे जब मन चाहा थमा दिया. आपकी मनमानी का जवाब जनता के पास भी है और संविधान के पास भी.

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