नेमरा की गलियों और पगडंडियों पर सरकार
- Posted on August 13, 2025
- झारखंड
- By Bawal News
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Nemra: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नेमरा में दिशोम गुरू शिबू सोरेन का श्राद्धकर्म कर रहे हैं. इस दौरान वे गांव की गलियों और पगडंडियों पर घूमते नजर आ रहे हैं. बुधवार को भी गांव का निरीक्षण करने निकले. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से बातचीत की और उनकी समस्याओं एवं सुझावों को सुना. हेमंत सोरेन ने कहा कि जल, जंगल और ज़मीन राज्य की पहचान और अस्तित्व का आधार हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इन तीनों संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन को अपनी प्राथमिकता में रखकर कार्य कर रही है. कहा कि यह केवल प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का विषय नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध झारखंड बनाने का संकल्प है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की संस्कृति, परंपरा और आजीविका जल, जंगल और ज़मीन से अभिन्न रूप से जुड़ी है. यही कारण है कि राज्य सरकार जल संरक्षण, वनों की रक्षा और भूमि अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू कर रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड की असली पहचान उसकी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक धरोहर है. सरकार जल संरक्षण, वन संरक्षण और भूमि अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरती हरी-भरी और जीवनदायी बनी रहे.
हेमंत सोरेन को लोग सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन की परछाई के रूप में भी देखते हैं. चाहे ग्रामीण इलाकों का दौरा हो, गरीब और वंचितों की समस्याएं सुनना हो या जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाना. हर कार्य में गुरुजी की सोच और आदर्श साफ़ झलकते हैं. जनसेवा, सरल स्वभाव और लोगों से गहरे जुड़ाव की वही विरासत, जिसे गुरुजी ने दशकों तक निभाया, आज मुख्यमंत्री अपने कार्यों से आगे बढ़ा रहे हैं. मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व में वही सादगी, वही संघर्ष और वही अटूट समर्पण झलकता है, जिसने गुरुजी को लोगों के दिलों में अमर कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके जीवन का हर कदम पिता की सीख और आशीर्वाद से प्रेरित है. "गुरुजी ने सिखाया कि राजनीति का अर्थ केवल सत्ता नहीं, बल्कि जनता की सेवा और अधिकारों की रक्षा है."
मुख्यमंत्री का बचपन गांव की गोद में बीता, जहां सुबह की ठंडी हवा, खेतों की हरियाली और नदी की कलकल ध्वनि उनका रोज़ का साथी था. इसी वातावरण में पला-बढ़ा मन आज भी प्रकृति की गोद में सुकून पाता है. मुख्यमंत्री का सपना है कि झारखंड आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतना ही हरा-भरा, स्वच्छ और जीवनदायी बना रहे जितना यह आज है. वे मानते हैं कि विकास तभी सार्थक है, जब वह पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति के साथ तालमेल बिठाए. मुख्यमंत्री का मानना है कि जल, जंगल और ज़मीन केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा हैं. ये लोकगीतों, त्योहारों और पारंपरिक रीति-रिवाजों में रचे-बसे हैं. इसलिए, इनके संरक्षण को सांस्कृतिक संरक्षण के रूप में भी देखा जाना चाहिए.
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