गुमला में मनरेगा घोटाला: ₹39 लाख की फर्जी निकासी, BDO समेत अफसरों से पूछताछ के बाद छोड़ा गया

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (14)-413N5whweu.jpg

Gumla: गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत बड़ा डिजिटल फर्जीवाड़ा सामने आया है. इसमें ₹39.39 लाख की फर्जी निकासी की गई, जिसके लिए कंप्यूटर ऑपरेटर राजू साहू को मुख्य आरोपी माना गया है. हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले में जिन वरिष्ठ अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया, उनसे केवल पूछताछ कर छोड़ा गया है.

कौन-कौन आरोपी?

फर्जी निकासी की रकम 9 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई, जिनका संबंध डुमरी प्रखंड से नहीं बल्कि पालकोट क्षेत्र से है. इन खाताधारकों में शामिल हैं:

  • अमित राम
  • सुमित नायक
  • भगवान नायक
  • बिरसमुनी देवी
  • दिलीप यादव
  • टुम्पा यादव
  • पंपा यादव
  • देवंती देवी
  • हीरा लाल यादव
  • इनके साथ राजू साहू को भी नामजद आरोपी बनाया गया है.

कैसे हुआ खुलासा?

डुमरी प्रखंड में गड़बड़ियों की शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन ने एक जांच समिति का गठन किया. रिपोर्ट में सामने आया कि तत्कालीन BDO के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर करोड़ों की निकासी की गई. इसके आधार पर मार्च 2025 में दस लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई.

अफसरों ने क्या कहा?

जिन अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर से यह निकासी की गई, उनमें शामिल हैं:

  • प्रीति किस्कू (तत्कालीन BDO का अतिरिक्त प्रभार)
  • एकता वर्मा (तत्कालीन BDO)
  • उमेश स्वांसी
  • संदीप उरांव (BPO)

प्रीति किस्कू ने स्वीकार किया कि काम के दबाव के कारण उन्होंने अपना डिजिटल सिग्नेचर कंप्यूटर ऑपरेटर को दे दिया था और अब खुद को दोषमुक्त करने की मांग कर रही हैं. एकता वर्मा ने कहा कि भुगतान प्रक्रिया में डिजिटल सिग्नेचर से पहले डेटा BPO और DPC स्तर पर तैयार होता है, और उन्होंने शक जाहिर किया कि फर्जीवाड़ा राजू साहू ने ही किया है. उमेश स्वांसी और संदीप उरांव ने भी राजू साहू की भूमिका पर सवाल उठाए. वहीं तारणी कुमार महतो ने पूछताछ नोटिस का जवाब तक नहीं दिया, बावजूद इसके उन्हें भी छोड़ दिया गया.

कार्रवाई सिर्फ निचले स्तर पर

हालांकि फर्जीवाड़े में वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत सामने आने के बाद भी, कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. अब तक केवल राजू साहू और 9 खाताधारकों के खिलाफ ही कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है.

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