मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद आया फैसला, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी 7 आरोपी बरी, बीजेपी बोली: भगवा आतंकवाद पर जवाब दे कांग्रेस
- Posted on July 31, 2025
- देश
- By Bawal News
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कोर्ट का फैसला आ गया. एनआई की विशेष अदालत ने 2008 में मालेगांव बम ब्लास्ट में बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. जज कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में RDX लगाया गया था. बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के होने के भी कोई सबूत नहीं मिले. कोर्ट ने यह भी कहा कि मालेगांव धमाके में घायलों की संख्या 101 नहीं बल्कि 95 थी. साथ ही कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी, जिसे अदालत ने गंभीरता से लिया. कोर्ट ने आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम), आर्म्स एक्ट और अन्य सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता
कोर्ट ने कहा कि मामले में यूएपीए के दोनों मंजूरी आदेश दोषपूर्ण हैं. श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के घर में विस्फोटक जमा करने या उसे जोड़ने के कोई सबूत नहीं मिले. जांच अधिकारी ने पंचनामा के दौरान घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया. न ही फिंगरप्रिंट, डेटा या अन्य सबूत जुटाए गए. नमूने भी दूषित थे, इसलिए रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता. जिस बाइक से धमाका जुड़ा बताया गया उसका चेसिस नंबर भी साफ नहीं था. यह भी साबित नहीं हो सका कि धमाके से ठीक पहले वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के पास थी.
भगवान दोषियों को सजा देंगे: साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि मैं शुरू से ही कह रही थी कि किसी को जांच के लिए बुलाने के पीछे कोई ठोस कारण होना चाहिए. मुझे बिना कारण बुलाया गया, गिरफ्तार किया गया और यातनाएं दी गई. मैं संन्यासी जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आरोपी बना दिया गया और कोई साथ नहीं खड़ा हुआ. मैं आज भी इसलिए जिंदा हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं. भगवा को बदनाम करने की साजिश की गई थी. भगवान दोषियों को सजा देंगे.
कब हुआ था मालेगांव ब्लास्ट
2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे. इस ब्लास्ट ने पूरे देश की राजनीति में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया गया था. मुंबई से 291 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालेगांव इसके बाद तमाम केंद्रीय जांच एजेंसियों और महाराष्ट्र एटीएस के लिए जांच स्थल बन गया था. यह पहला मामला था जब किसी ब्लास्ट के मामले में हिंदुओं को आरोपी बनाया गया था. इस केस की सुनवाई अप्रैल, 2025 में पूरी कर ली गई थी. इसके बाद कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाए जाने का इंतजार हो रहा था. मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज थे इसलिए कोर्ट को फैसला सुनाने में देर हो रही थी.
बीजेपी बोली 'भगवा आतंकवाद' पर जवाब दे विपक्ष
एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा सांसद रवि किशन ने मामले मे कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा कि खुश हों या दुखी. मेरी बहन साध्वी प्रज्ञा मेरे बगल में संसद में बैठती थीं. उनका शरीर आज लगभग लकवाग्रस्त है. उन्होंने कहा कि सोचिए जिन लोगों पर झूठे आरोप लगे, उनके और उनके परिवारों पर क्या बीती होगी. कौन लौटाएगा उनके 17 साल? रवि किशन ने कहा कि जिस कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा, आज उन्हें इसका जवाब देना होगा. उन्हें देश के 100 करोड़ हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए. किस आधार पर उन्होंने भगवा आतंक का नैरेटिव खड़ा किया? इसके पीछे का मास्टरमाइंड कौन था?
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