67 सीटें हारकर भी जीत गये जयराम, JLKM ने बता दी दिग्गजों की हैसियत

सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी दल एक-एक विधानसभा सीट पर हार-जीत की समीक्षा करेंगे तब उन्हें पता चलेगा कि जयराम महतो ने पहले ही चुनाव में कितनी मजबूती के साथ उनके वोटबैंक में सेंधमारी की है.

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Satya Sharan Mishra

रांची : झारखंड के विधानसभा चुनाव में जयराम महतो और उनकी पार्टी जेएलकेएम का उदय नहीं होता तो इंडी गठबंधन को इतना जबरदस्त जनादेश नहीं मिला होता. बीजेपी 21 सीटों पर नहीं सिमटी होती. आजसू पार्टी का सूरज अस्त नहीं होता और कुछ दिग्गज नेताओं को उनकी हैसियत मालूम नहीं हो पाती. यह चर्चा तो पहले ही थी विधानसभा चुनाव में जयराम महतो इस बार बहुतों का खेल बिगाड़ेंगे, लेकिन एनडीए और इंडी गठबंधन ने जयराम को नजरअंदाज कर दिया. बीजेपी ने सुदेश महतो को कुर्मी समाज का सबसे बड़ा नेता मानकर जयराम को इग्नोर किया. सोचा कि आखिर राज्य में ढाई दशक से स्थापित सुदेश महतो के सामने जयराम क्या टिकेंगे. उधर इंडी गठबंधन ने गिरिडीह लोकसभा चुनाव के परिणाम के आधार पर जयराम का आकलन कर उन्हें हल्के में ले लिया. जब चुनाव को रिजल्ट आया तो इंडी गठबंधन जीत के जश्न में और इंडिया गठबंधन हार के गम में डूब गयी. अभी तो चुनाव खत्म हुआ है. जब चुनाव की खुमारी खत्म होगी और सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी दल एक-एक विधानसभा सीट पर हार-जीत की समीक्षा करेंगे तब उन्हें पता चलेगा कि जयराम महतो ने पहले ही चुनाव में कितनी मजबूती के साथ उनके वोटबैंक में सेंधमारी की है. यह भी तय है कि अगले 5 साल जयराम के तेवर यही रहे और एकला चलो की राह पर चलते रहे तो 2029 के विधानसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी, जेएमएम और कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएंगे. 

सिल्ली में सुदेश के हार की वजह बने जयराम
 
विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम ने 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से सिर्फ एक सीट डुमरी पर जयराम महतो चुनाव जीत पाये. बाकी के 67 सीटें पार्टी ने गंवा दी. जयराम के आलोचक इन 67 सीटों पर उनकी हार को देख रहे हैं, लेकिन यह नहीं देख पा रहे कि महज दो महीने पहले रजिस्टर्ड हुई पार्टी ने राज्य के 15 फीसदी वोट बैंक को साधने में काफी हद तक कामयाबी हासिल कर ली. जेएलकेएम ने 34 सीटों पर जेएमएम की जीत में अहम भूमिका निभाई, जहां उसने तीसरे नंबर पर रहकर एनडीए का वोट काट दिया. प्रदेश में कुर्मी समाज के सबसे बड़े लीडर सुदेश महतो के साथ भी जेएलकेएम ने सिल्ली में खेल कर दिया. सिल्ली मे जेएलकेएम नहीं होती तो वहां के चुनाव का परिणाम शायद यह नहीं होता. आंकड़ों के गणित से समझिये सुदेश महतो को सिल्ली में 23867 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, जबकि जेएलकेएम प्रत्याशी देवेंद्रनाथ महतो ने यहां से 41725 वोट हासिल किये.

बीजेपी को चंदनकियारी में JLKM ने दिया सबसे बड़ा झटका

जेएलकेएम ने चंदनकियारी में बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है. बीजेपी विधायक दल के नेता अमर बाउरी को जेएलकेएम की वजह से चुनाव हारना पड़ा. वे लगातार दो बार यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन जेएलकेएम ने उन्हें विधायकी की रेस से ही बाहर कर दिया. जेएमएम के उमांकात रजक 90027 वोट के साथ चुनाव जीते. जेएलकेएम के अर्जुन रजवार दूसरे नंबर पर रहे. उन्हें 56294 वोट मिले, जबकि बाउरी को 56091 वोट प्राप्त हुए.


डुमरी की हार झामुमो को चुभेगी

भले ही झामुमो 34 विधानसभा सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन उसे यह भी याद रखना होगा कि जयराम ने झामुमो के पुराने किले को पहली ही वार में धव्स्त कर दिया है. जी हां डुमरी विधानसभा सीट, जहां 20 सालों से झामुमो का कब्जा था. डुमरी की जनता ने 2005 के बाद यहां किसी दूसरे दल का विधायक नहीं चुना. जगन्नाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को भी उपचुनाव जीताकर जनता ने विधानसभा भेजा, लेकिन 2024 के चुनाव में डुमरी विधानसभा की जनता पर जयराम का जादू ऐसा चला कि उसने झामुमो को नकार दिया. झामुमो के लिए इस सीट को हारना चिंता का विषय इसलिए भी है कि हेमंत सरकार में मंत्री रहते बेबी देवी यहां से चुनाव हार गईं.

जयमंगल को चेतावनी दे गये जयराम

जयराम इस चुनाव में कांग्रेस को भी चेतावनी दे गये हैं. जयराम महतो बेरमो विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे. इस सीट पर शुरू से कांग्रेस और बीजेपी में फाइट होती रही है. कांग्रेस के विधायक कुमार जयमंगल यहां से जीतने में कामयाब रहे, लेकिन 60871 वोट लाकर जयराम ने जयमंगल और कांग्रेस को बता दिया है कि अगले विधानसभा चुनाव में टक्कर जोरदार होगी. जयराम ने बेरमो से भले ही चुनाव हार गये, लेकिन बीजेपी को भी बड़ा नुकसान पहुंचा गये. गिरिडीह लोकसभा सीट से 5 बार सांसद रहे रविंद्र पांडेय इस विधानसभा चुनाव में अपना राजनीतिक करियर बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे, लेकिन उन्हें तीसरे नंबर पर धकेलते हुए जयराम ने उनके राजनीतिक भविष्य और बेरमो में बीजेपी की वापसी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है.


इन सीटों पर जेएलकेएम ने एनडीए को पहुंचाया नुकसान

रामगढ़

रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ममता देवी ने आजसू की सुनीता देवी को हराया. ममता देवी को 89818 वोट मिले, जबकि सुनीता देवी को 83028 वोट मिले, वहीं जेएलकेएम के परमेश्वर कुमार को 70979 वोट मिले. जीत का अंतर सिर्फ 6790 वोटों का रहा. अगर जेएलकेएम यहां से चुनाव नहीं लड़ती तो शायद सुनीता देवी नहीं हारतीं.

सिंदरी 

सिंदरी विधानसभा सीट पर भाकपा माले के चंद्रदेव महतो चुनाव जीते. उन्हें 105136 वोट मिले, जबकि बीजेपी की तारा देवी को 101688 वोट मिले. जीत का अंतर 3448 वोटों का रहा. जेएलकेएम की उषा देवी को 42664 वोट मिले. 

खरसावां

खरसावां सीट पर झामुमो के दशरथ गगराई ने जीत दर्ज की. उन्हें 85772 वोट मिले. बीजेपी के सोनाराम बोदरा को 53157 वोट मिले. जीत और हार का अंतर 32615 वोटों का रहा, वहीं जेएलकेएम के पांडु राम हैबुरू को 33841 वोट मिले.

ईचागढ़

ईचागढ़ में झामुमो की सबिता महतो ने जीत दर्ज की. उन्हें 77552 वोट मिले. आजसू के हरे लाल महतो को 51029 वोट मिले. जीत का अंतर 26523 वोटों का रहा. जेएलकेएम के तरुण महतो ने 41138 वोट हासिल किए. 

तमाड़

तमाड़ में झामुमो के विकास कुमार मुंडा 65655 वोट लाकर चुनाव जीते. जदयू के गोपाल कृष्ण पातर 41409 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे. जीत और हार का अंतर 24246 वोटों का रहा. वहीं जेएलकेएम की दमयंती मुंडा को 26562 वोट मिले.

मांडू

मांडू विधानसभा में भी जेएलकेएम ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. आजसू 231 वोट लाकर यहां कांग्रेस के जेपी पटेल को हराने में कामयाब रही, लेकिन पहले ही चुनाव 71276 वोट लाकर जेएलकेएम ने यहां बड़ी लकीर खींच दी है.

बाघमारा

कुर्मी बहुल बाघमारा विधानसभा क्षेत्र में इस चुनाव में जेएलकेएम ने शानदार शुरुआत की है. यहां भी जेएलकेएम तीसरे नंबर पर रही. जेएलकेएम को यहां 15696 वोट हासिल हुए.

खिजरी

खिजरी विधानसभा सीट पर जेएलकेएम ने 26827 वोट लाकर शानदार शुरुआत की है. जेएलकेएम ने यहां बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया. कांग्रेस को 122834 वोट मिले, जबकि बीजेपी को 94274 वोट मिले. चुनाव में जेएलकेएम नहीं होता तो रिजल्ट कुछ और हो सकता था.

बड़कागांव

बड़कागांव में भी जेएलकेएम शानदार शुरूआत करते हुए कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया. यहां कांग्रेस की अंबा प्रसाद को 93075 वोट मिले, जबकि बीजेपी को रौशनलाल चौधरी को 124468 वोट प्राप्त हुए. जेएलकेएम ने 26867 वोट हासिल किया.

गोमिया

जयराम ने सिल्ली के साथ-साथ गोमिया में भी आजसू के साथ खेल कर दिया. यहां सीटिंग विधायक लंबोदर महतो जेएलकेएम की वजह से तीसरे नंबर पर चले गये. जेएमएम को 95170 वोट मिले, जबकि जेएलकेएम को 59077 वोट हासिल हुए. आजसू 54508 वोटों पर सिमट गई.


JLKM ने बताया हम वोटकटवा पार्टी नहीं

चुनाव के पहले तक जयराम की पार्टी को झारखंड में वोटकटवा पार्टी के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन जेएलकेएम ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया है कि वो वोटकटवा पार्टी नहीं है. अगर ऐसा होता तो जेएलकेएम के कैंडिडेट 5-10 हजार वोटों के अंदर ही सिमट जाते, लेकिन कई सीटों पर पार्टी ने 50 हजार से ज्यादा वोट लाकर यह साबित कर दिया है कि वो वोट काटने नहीं बल्कि झारखंड की राजनीति में पैर जमाने आई है. जयराम की धमक 2029 के विधानसभा चुनाव के लिए इंडी और एनडीए गठबंधन दोनों के लिए बड़ी चेतावनी है.

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