शिक्षा से न्याय की रखी नींव, जानिए नये CJI बीआर गवई के अहम फैसले

  • Posted on May 14, 2025
  • देश
  • By Bawal News
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New Delhi: जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली. CJI गवई ने नागपुर से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. फिर नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की. गवई शुरू से ही मेधावी छात्र रहे. कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत की शुरुआत नागपुर हाईकोर्ट में की और अपने तर्कों की स्पष्टता और कानूनी ज्ञान के कारण वे जल्द ही प्रतिष्ठित वकील बन गये. जस्टिस बीआर गवई ने अपने कानून करियर की शुरुआत संविधान और प्रशासनिक कानून में विशेषज्ञता के साथ की. वे नागपुर महानगरपालिका, अमरावती महानगरपालिका और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किए गए थे. जस्टिस बीआर गवई को अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था. 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया. 

इन महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे जस्टिस बीआर गवई

जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट की कई संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे. इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने. वह उन पांच जजों की पीठ के सदस्य रहे जिसने सर्वसम्मति से केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा. केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था जिसके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.

जस्टिस बीआर गवई पांच जजों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे जिसने पॉलिटिकल फंडिंग के लिए उपयोग की जाने वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था.

जस्टिस बीआर गवई उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने केंद्र सरकार के 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा था.

जस्टिस गवई सात न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने यह फैसला सुनाया था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है.

राहुल गांधी केस की सुनवाई से अलग करने की पेशकश 

जस्टिस बीआर गवई ने राहुल गांधी के मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने की भी पेशकश की थी. यह मामला राहुल गांधी पर आपराधिक मानहानि से जुड़ा हुआ था. 21 जुलाई 2023 को इस मामले में हो रही सुनवाई के दौरान पीठ ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर दिया. सुनवाई के दौरान ही जस्टिम गवई ने इस मामले से खुद को अलग करने की पेशकश की. गवई ने कहा ता कि मेरी तरफ से इस मामले में थोड़ी समस्या है. मेरे पिता 40 सालों तक कांग्रेस से जुड़े थे. वह कांग्रेस के सदस्य नहीं थे लेकिन उनकी सहायता से राज्यसभा और लोकसभा पहुंचे थे. मेरा भाई भी कांग्रेस से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अब आप सब तय करें कि क्या मुझे इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए.

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