ED Raid: अनिल अंबानी से जुड़े छह ठिकानों पर कार्रवाई, जानिए पूरा मामला
- Posted on October 1, 2025
- देश
- By Bawal News
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 सितंबर को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और उससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. मुंबई और मध्य प्रदेश के महू (इंदौर के पास) में कुल छह ठिकानों पर छापेमारी की गई.
कहां मारी गई रेड
पाथ इंडिया ग्रुप के मुख्यालय और कंपनी के निदेशकों के आवासों पर मारे गए छापे. जांच रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर से जुड़े अवैध विदेशी धन प्रेषण (हवाला) के आरोपों पर केंद्रित है.
क्या है मामला?
ईडी को संदेह है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने पाथ इंडिया ग्रुप के साथ मिलकर कई निर्माण परियोजनाओं के नाम पर विदेशों में अवैध रूप से पैसा भेजा. इसके अलावा, जांच एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत 17,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के ऋणों की कथित हेराफेरी और वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच कर रही है. ईडी ने इस केस में 39 बैंकों से पूछताछ की है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि उन बैंकों ने संदिग्ध लोन और डिफॉल्ट को कैसे नजरअंदाज किया.
CLE कंपनी की भूमिका
सेबी (SEBI) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने CLE नाम की एक कंपनी के माध्यम से इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में अपनी ही ग्रुप की अन्य कंपनियों को फंड ट्रांसफर किया. आरोप है कि CLE को 'संबंधित पक्ष' (Related Party) के रूप में घोषित नहीं किया गया, जिससे नियामकीय नियमों का उल्लंघन हुआ. सेबी की इस रिपोर्ट ने ED की जांच को और गति दी है.
फर्ज़ी बैंक गारंटी का मामला
अगस्त 2025 में ईडी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने रिलायंस पावर के लिए 68.2 करोड़ रुपये की फर्ज़ी बैंक गारंटी तैयार की थी. ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है, जिससे उनकी विदेश यात्रा पर रोक लगा दी गई है.
कंपनी की सफाई
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने पहले ही इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि कंपनी का कुल कर्ज केवल 6,500 करोड़ रुपये है, न कि 10,000 करोड़ जैसा दावा किया जा रहा है. कंपनी ने यह भी बताया कि इस राशि की वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों की निगरानी में मध्यस्थता प्रक्रिया जारी है और बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. साथ ही, कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में शामिल नहीं हैं.
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