बिहार विधानसभा चुनाव: सासाराम में स्ट्रांग रूम के बाहर हंगामा, काउंटिंग से पहले ट्रक पहुंची

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (25)-7sQDfnavpp.jpg

बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान संपन्न होने के बाद अब मतगणना की तैयारियां तेज़ी से चल रही हैं. इसी बीच रोहतास जिले के सासाराम से बड़ी खबर सामने आई है. मतगणना से ठीक एक दिन पहले बुधवार की रात स्ट्रांग रूम के बाहर हंगामा खड़ा हो गया. जानकारी के अनुसार, महागठबंधन के प्रत्याशियों को पता चला कि स्ट्रांग रूम के अंदर का CCTV कैमरा अचानक बंद हो गया है. इसी दौरान एक ट्रक बिना जांच के स्ट्रांग रूम परिसर में दाखिल हुआ, जिसके बाद प्रत्याशियों और समर्थकों में आक्रोश फैल गया.

खबर मिलते ही दिनारा के राजद प्रत्याशी राजेश यादव और सासाराम के राजद प्रत्याशी सत्येंद्र साह अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी और धरना देने लगे. गौरतलब है कि रोहतास जिले की सात विधानसभा सीटों के लिए 14 नवंबर को सासाराम के तकिया बाजार स्थित बाजार समिति प्रांगण में वोटों की गिनती होनी है. लेकिन उससे पहले ही इस घटना ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है.

महागठबंधन के प्रत्याशियों ने प्रशासन पर EVM बदलने की साजिश का आरोप लगाया है. राजद प्रत्याशी राजेश यादव ने कहा, “रात में ट्रक अंदर गया, जिसमें EVM थे. शिकायत करने के बाद भी प्रशासन कुछ सुनने को तैयार नहीं. सीसीटीवी बंद होना साफ संकेत है कि कोई गड़बड़ी हो रही है.” वहीं सासाराम के प्रत्याशी सत्येंद्र साह ने कहा, “जब स्ट्रांग रूम का CCTV बंद है तो रात में ट्रक अंदर क्यों गया? यह EVM बदलने की कोशिश है. महागठबंधन की बढ़त से घबराकर प्रशासन खेल कर रहा है.”

हंगामे की सूचना पर रोहतास के एसपी रौशन कुमार और डीएम उदिता सिंह दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे. ट्रक की जांच की गई, जिसमें केवल खाली बक्से मिले. डीएम ने प्रत्याशियों को आश्वस्त किया कि यदि कोई संदेह है तो CCTV फुटेज की जांच कराई जाएगी. एसडीएम आशुतोष रंजन ने बताया कि ये बक्से मतगणना के बाद EVM रखने के लिए मंगाए गए थे, जो 10 नवंबर तक पहुंचने थे लेकिन देरी से आए.

हालांकि प्रशासन ने बक्सों की जांच प्रत्याशियों की मौजूदगी में कराई और सभी बक्से खाली पाए गए, फिर भी प्रत्याशियों का संदेह बरकरार है. उनका सवाल है कि अगर बक्से खाली थे, तो उन्हें रात में लाने की क्या जरूरत थी? प्रशासन इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका.

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