झारखंड की बेटी और भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को अर्जुन पुरस्कार

  • Posted on January 2, 2025
  • देश
  • By Bawal News
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राष्ट्रीय खेल मंत्रालय ने 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार देने का ऐलान किया है. इसमें झारखंड की बेटी और हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे भी शामिल है. सिमडेगा की रहने वाली पूर्व ओलंपियन सलीमा टेटे सहित 32 खिलाड़ियों को 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार दिया जाएगा. 

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रांची : नए साल के दूसरे दिन खेल जगत से झारखंड के लिए खुशी की खबर आई है. झारखंड की बेटी और अंतर्राष्ट्री हॉकी खिलड़ी सलीमा टेटे को सरकार ने अर्जुन अवार्ड देने का फैसला किया है. सलीमा टेटे के साथ देश के कुल 32 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड दिया जाएगा. युवा एवं खेल मंत्रालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 की घोषणा करके यह जानकारी दी. सभी विजेताओं को 17 जनवरी 2025 को सुबह 11 बजे दिल्ली में राष्ट्रपति में आयोजित विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा. राष्ट्रीय खेल मंत्रालय ने 4 खिलाड़ियों को खेल रत्न और 32 खिलाड़ियों को अर्जुन अवार्ड देने की घोषणा की है.

 

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 165 किमी दूर सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर की रहने वाली सलीमा टेटे मौजूदा समय में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी है. उन्हें मई 2024 में सविता पूनिया की जगह टीम का कप्तान बनाया गया था. अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित होने पर उन्हें बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है. अर्जुन अवॉर्ड के लिए उनका चयन होने के बाद झारखंड के खेल प्रमियों में खुशी का माहौल है.

 

सलीमा टेटे ने काफी संघर्षों के बाद सिमडेगा से भारतीय हॉकी टीम तक सफर तय किया है. उनके इस संघर्ष में उनके परिवार वालों खूब साथ दिया. आज वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रही हैं. सलीमा का चयन 2016 में जूनियर भारतीय हॉकी महिला टीम के लिए हुआ था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सबसे पहले 2010 में सिमडेगा हॉकी के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी ने सलीमा की प्रतिभा को पहचाना था, जब वो ग्रामीण स्तर पर एक हॉकी टूर्नामेंट में भाग लेने आई थी. सलीमा ने डिफेंडर के रूप में शुरुआत की थी. अब वो मिड फील्डर के रूप में खेलती हैं. कई बार जरूरत पड़ने पर टीम के लिए बतौर फॉर्वर्ड भी खेल चुकी हैं.

 

सलीमा का बचपन काफी अभावों और परेशानियों से भरा रहा है. हॉकी के प्रति बचपन से ही उनके अंदर जुनून था. सलीमा ने बांस के स्टिक और हाथ से बनाए गेंद से हॉकी खेलने की शुरुआत की थी. सलीमा के पिता भी हॉकी के खिलाड़ी थे. सलीमा के मन में अपने पिता को देखकर भी हॉकी के प्रति जुनून पैदा हुआ. इसके अलाव सलीमी बड़ी बहन अनिमा भी हॉकी खेला करती थीं. लेकिन, अपनी छोटी बहन सलीमा के लिए उन्होंने अपना सपना त्याग दिया और दूसरों के घरों में काम करना शुरू कर दिया. सलीमा टेटे की मां भी दूसरों के घरों में काम करती थीं. 

 

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