बदला-बदला होगा इस बार विधानसभा के अंदर का नजारा, फ्रंट पर होंगे ये चेहरे...

विधानसभा में 19 नये चेहरे इस बार पहुंचे हैं. उम्मीद है इनमें से कुछ विधायक विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभालते हुए पुराने सद्स्यों की कमी को दूर करने की कोशिश करेंगे.

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रांची : छठे झारखंड विधानसभा का पहला सत्र 9 दिसंबर से शुरू हो रहा है. चार दिवसीय इस सत्र में विधानसभा के अंदर का नजारा बदला-बदला होगा. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से सदन का माहौल गरमाने वाले कुछ माननीय इस बार सदन में नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें जनता ने चुनकर विधानसभा नहीं भेजा है. इस बार भी सदन में हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता पक्ष में है. हेमंत सोरेन अपनी तय सीट पर बैठेंगे, लेकिन पहली और दूसरी पंक्ति पर बैठने वाले उनके पिछले कोई सहयोगी मंत्री नहीं दिखेंगे. पूरा कैबिनेट बदल गया है.

 

पांचवें विधानसभा में सत्ता पक्ष में अगली पंक्ति पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बगल में संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम, फिर रामेश्वर उरांव, चंपई सोरेन, जोबा मांझी और सत्यानंद भोक्ता बैठते थे. इस बार आलमगीर आलम सदन में नहीं हैं. रामेश्वर उरांव मंत्री नहीं हैं इसलिए इस बार वे बीच की पंक्ति में आगे बैठेंगे, चंपई सोरेन इस बार सत्ता पक्ष की ओर से नहीं बल्कि विपक्ष की तरफ से अगली पंक्ति में दिखेंगे. जोबा मांझी और सत्यानंद भोक्ता सदन में नहीं दिखेंगे. वहीं दूसरी पंक्ति पर बैठने वाले मंत्री बन्ना गुप्ता, मिथिलेश ठाकुर, बादल पत्रलेख भी नजर नहीं आएंगे. ये तीनों चुनाव हार गये हैं.

 

इस बार सीएम के बगल में राधाकृष्ण किशोर और अगली पंक्ति में दीपक बिरुवा, चमरा लिंडा और संजय प्रसाद यादव नजर आएंगे. दूसरी पंक्ति में रामदास सोरेन, इरफान अंसारी, हफीजुल हसन, दीपिका पांडेय सिंह, योगेंद्र प्रसाद, सुदिव्य सोनू और शिल्पी नेहा तिर्की दिखेंगे.

 

वहीं विपक्ष की पहली पंक्ति से भी कई चेहरे गायब रहेंगे. भानू प्रताप शाही, नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र चंद्रवंशी, अमर बाउरी, जेपी पटेल इस बार न सदन ने न अगली पंक्ति में नजर आएंगे. ये सभी चुनाव हार चुके हैं. रांची विधायक सीपी सिंह, धनवार विधायक बाबूलाल मरांडी, चंपई सोरेन, नीरा यादव, नवीन जायसवाल अगली पंक्ति पर दिख सकते हैं.

 

सदन के अंदर नोकझोंक और हंगामा करने वाले अधिकांश चेहरे इस बार नहीं दिखेंगे. बात-बात पर अपनी सीट पर खड़े होने, सदन की कार्यवाही के बीच टोका-टोकी करने वाले और वेल में पहुंचने वाले भानु प्रताप शाही, बिरंची नारायण, जेपी पटेल, रणधीर सिंह, अमर बाउरी, उमाशंकर अकेला जैसे नेता इस बार विधानसभा नहीं पहुंच पाये हैं.

 

विधानसभा में 19 नये चेहरे इस बार पहुंचे हैं. उम्मीद है इनमें से कुछ विधायक विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभालते हुए पुराने सद्स्यों की कमी को दूर करने की कोशिश करेंगे. पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू, झरिया विधायक रागिनी सिंह, जमुआ विधायक मंजू देवी जैसे नये विधायकों पर इस बार काफी जिम्मेदारी होगी. बीजेपी की सहयोगी आजसू पार्टी की तरफ से दो विधायक सुदेश महतो और लंबोदर महतो भी सदन में एक्टिव रहते थे. इस बार सदन में आजसू कमजोर होगा. सवालों की लंबी लिस्ट लेकर विधानसभा पहुंचने वाले माले विधायक विनोद सिंह के सवालों से भी सरकार अगले 5 साल तक सदन में बची रहेगी.  

 

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