बस अब ‘बहुत’ हो गया, मैं निराश और भयभीत हूं : राष्ट्रपति
- Posted on August 28, 2024
- By Bawal News
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कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर केस पर राष्ट्रपति ने कहा है कि देश के लोगों का गुस्सा जायज है. मैं भी गुस्से में हूं. महिलाओं पर होने वाले अपराधों के बारे में सुनती हूं तो गहरी पीड़ा होती है.
नई दिल्ली : कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस के 20 दिन बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पहला बयान आया है. उन्होंने कहा बस अब बहुत हो चुका. मैं घटना को लेकर निराश और डरी हुई हूं. कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता. ज्यादा दुखद बात यह है कि यह घटना अकेली घटना नहीं है. यह महिलाओं के खिलाफ अपराध का एक हिस्सा है. जब स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स और नागरिक कोलकाता में प्रोटेस्ट कर रहे थे, तो अपराधी दूसरी जगहों पर शिकार खोज रहे थे. विक्टिम में किंडरगार्टन की बच्चियां तक शामिल थीं. कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह की अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता. देश के लोगों का गुस्सा जायज है, मैं भी गुस्से में हूं.
गहरी पीड़ा होती है
राष्ट्रपति ने कहा पिछले साल महिला दिवस के मौके पर मैंने एक न्यूजपेपर आर्टिकल के जरिए अपने विचार और उम्मीदें साझा की थीं. महिलाओं को सशक्त करने की हमारी पिछली उपलब्धियों को लेकर मैं सकारात्मक हूं. मैं खुद को भारत में महिला सशक्तिकरण की इस शानदार यात्रा का एक उदाहरण मानती हूं. लेकिन, जब भी मैं देश के किसी कोने में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में सुनती हूं तो मुझे गहरी पीड़ा होती है.
समाज को भूलने की घृणित आदत है
उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद 12 सालों में रेप की अनगिनत घटनाओं को समाज ने भुला दिया है. समाज की भूलने की यह सामूहिक आदत घृणित है. इतिहास का सामना करने से डरने वाला समाज ही चीजों को भूलने का सहारा लेता है. अब समय आ गया है कि भारत अपने इतिहास का पूरी तरह से सामना करे. हमें जरूरत है कि इस विकृति का सब मिलकर सामना करें ताकि इसे शुरु में ही खत्म कर दिया जाए.
महिलाओं-लड़कियों को ताकतवर होना होगा
राष्ट्रपति ने कहा मैंने रक्षाबंधन पर स्कूल के बच्चों से मुलाकात की थी. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हम उन्हें भरोसा दिला सकते हैं कि निर्भया जैसे केस अब नहीं होंगे. मैंने उन्हें बताया कि हर नागरिक की रक्षा करना राष्ट्र की जिम्मेदारी है, लेकिन साथ ही सेल्फ-डिफेंस और मार्शल आर्ट्स में ट्रेनिंग लेना सभी के लिए जरूरी है, खासतौर से लड़कियों के लिए, ताकि वे और ताकतवर हो सकें. लेकिन यह महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं है, क्योंकि महिलाओं की सुरक्षा कई कारणों से प्रभावित होती है. जाहिर सी बात है कि इस सवाल का पूरा जवाब सिर्फ हमारे समाज से आ सकता है.
समाज को खुद के अंदर झांकना होगा
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि समाज को खुद के अंदर झांकना होगा और मुश्किल सवाल पूछने होंगे. हमसे कहां गलती हुई? इन गलतियों को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढ़े बिना, आधी आबादी उतनी आजादी से नहीं जी पाएगी, जितनी आजादी से बाकी आधी आबादी जीती है. अक्सर घृणित मानसिकता वाले लोग महिलाओं को अपने से कम समझते हैं. वे महिलाओं को कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखते हैं.
महिलाओं ने हर एक इंच जमीन जीतने के लिए लड़ाई लड़ी है
उन्होंने कहा कि महिलाओं ने हर एक इंच जमीन जीतने के लिए लड़ाई लड़ी है. सामाजिक धारणाओं और कई परंपराओं और प्रथाओं ने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ने से रोका है. यह एक घटिया सोच है जो महिलाओं को कम समझती है. कुछ लोग महिलाओं को उपभोग की वस्तु की तरह देखते हैं. यही महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की वजह है. ऐसे लोगों के दिमाग में महिलाओं को लेकर यह सोच गहरी हो चुकी है. राष्ट्र और समाज का काम है कि इस सोच के खिलाफ खड़े हों.
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