घाटशिला में कभी कैंडिडेट नहीं दोहराती बीजेपी... फिर बाबूलाल सोरेन ने क्यों कर दिया ये दावा?

The verdict in Malegaon blast case came after 17 years, all 7 accused including Sadhvi Pragya Thakur were acquitted, BJP said Congress should answer saffron terrorism (55)-lQ1rHO55XE.jpg

घाटशिला में चुनावी बिसात बिछ चुकी है. राजनीतिक दलों ने सियासी चाल शुरू कर दी है. सत्ता पक्ष से रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन लगभग फाइनल हो चुके हैं. सिर्फ पार्टी की ओर से औपचारिक ऐलान बाकी है, लेकिन विपक्ष यानी बीजेपी ने अबतक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेपी में दावेदारों की भरमार है, लेकिन एक नाम सबसे अधिक चर्चा में है. वह हैं बाबूलाल सोरेन. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी से प्रबल दावेदार हैं. बीजेपी में उम्मीदवारों के दावेदारी करने की परंपरा नहीं है. पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के फिडबैक पर केंद्रीय नेतृत्व उम्मीदवार का नाम तय करता है और फिर घोषणा की जाती है, लेकिन बाबूलाल सोरेन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए दावेदारी कर दी है. उन्होंने कह दिया है कि टिकट मिलेगा, उपचुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी. बवाल डिजिटल से बातचीत में उन्होंने कहा कि 2024 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा है. जनता के बीच हैं. बीजेपी से टिकट के दावेदारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो जनता की सेवा करता है, जनता के बीच रहता है. संगठन उसी पर भरोसा जताती है.

2024 में हारे, अब फिर मैदान में

2024 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल सोरेन ने घाटशिला सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. उस वक्त भी बीजेपी से कई दावेदार चुनाव के मैदान में थे, लेकिन अचानक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने जेएमएम से चंपई सोरेन को इंपोर्ट कर लिया और उनके साथ-साथ उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन भी इंपोर्ट हो गये. बीजेपी ने सभी प्रबल दावेदारों को दरकिनार कर बाबूलाल सोरेन को टिकट थमा दिया था. बाबूलाल सोरेन ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा. पिता चंपई सोरेन ने भी बेटे के लिए खूब मेहनत की, लेकिन बाबूलाल चुनाव हार गये. अब एक बार फिर उपचुनाव में बाबूलाल टिकट के दावेदार हैं.

टिकट मिलने के पीछे तर्क

बीजेपी का एक बड़ा वर्ग कह रहा है कि बाबूलाल सोरेन को ही टिकट मिलेगा, लेकिन नेताओं का एक वर्ग कह रहा है कि टिकट कटेगा. टिकट मिलने के पीछे यह तर्क है कि बाबूलाल सोरेन के पिता चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल में बीजेपी के एकमात्र विधायक हैं और कोल्हान में उनकी जबरदस्त पकड़ है. इसलिए बीजेपी के दूसरे उम्मीदवारों से बाबूलाल का पलड़ा भारी है. 2024 के विधानसभा चुनाव में चंपई सोरेन खुद सरायकेला विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे इसलिए बेटे की सीट घाटशिला पर बहुत ध्यान नहीं दे पाये, लेकिन उपचुनाव में चंपई फ्री रहेंगे और बेटे को जिताने के लिए घाटशिला में कैंप करेंगे.

क्यों कट सकता है टिकट 

वहीं टिकट कटने के पीछे तर्क यह है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाये. चंपई सोरेन का हाथ होने के बावजूद चुनाव हार गये. अगर पार्टी फिर से बाबूलाल को टिकट देती है तो संगठन के अंदर बगावत होने के आसार हैं. टिकट कटने के पीछे तर्क यह भी है कि यह इतिहास रहा है कि बीजेपी घाटशिला विधानसभा सीट पर किसी प्रत्याशी को दोहराती नहीं है. जिस कैंडिडेट को एक बार टिकट मिला, दूसरी बार उसका पत्ता साफ. चाहे वह जीते या हारे. इतिहास उठाकर देख लीजिए. बीजेपी ने 2000 के विदानसभा चुनाव में बैजू मुर्मू को प्रत्याशी बनाया था. फिर 2005 में रमेश हांसदा प्रत्याशी बन गये. 2009 में फिर प्रत्याशी बदल गया. इस बार सूर्य सिंह बेसरा थे. 2014 में लक्ष्मण टुडू प्रत्याशी बनाये गये. इन्होंने चुनाव जीतकर पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया था. इसके बावजूद बीजेपी ने 2019 में प्रत्याशी बदल दिया और लखन चंद्र मार्डी को टिकट मिला. फिर 2024 में भी प्रत्याशी बदल दिया गया. इस बार लखन की जगह बाबूलाल सोरेन थे.

0
Author
No Image
Content creator
Bawal News

Someone who likes to write and teach

You May Also Like

Write a Response