54 साल बाद हो रहा भेड़ियों का सर्वे, महुआडांड वुल्फ सेंचुरी में मौजूद हैं 70 भेड़िये
- Posted on August 10, 2024
- झारखंड
- By Bawal News
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वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं. ग्रे वुल्फ की संख्या पूरे विश्व में मात्र दो हजार के करीब है.
पलामू : देश के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ में 54 साल बाद भेड़ियों का सर्वे हो रहा है. 1970 के बाद यहां पहली बार सर्वे हो रहा है. नेशनल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में सर्वे कर रही है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में भेड़ियों से जुड़े डाटा का आकलन किया जा रहा है. गौरतलब है कि महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का कॉरिडोर झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच जुड़ा हुआ है. इस वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ (भेड़िया) हैं. ग्रे वुल्फ की संख्या पूरे विश्व में मात्र दो हजार के करीब है.
1979 में मिले थे 49 भेड़िये
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी देश का पहला वुल्फ सेंचुरी है, इसका गठन 1976 में हुआ था. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी करीब 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पलामू टाइगर रिजर्व के एक हिस्से में मौजूद है. वुल्फ सेंचुरी के गठन से पहले 1970 में सर्वे हुआ था. इसके बाद 1979 में यहां भेड़ियों की गिनती हुई थी, उस वक्त सेंचुरी में 49 भेड़िया मिले थे. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में 70 भेड़िया के होने के सबूत मिले हैं. यह भेड़िया चार झुंडों में बंटे हुए हैं. भेड़ियों का झुंड छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच घूम रहा है.
खतरा महसूस होने के बाद इलाके में दोबारा नहीं लौटते भेड़िये
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टीमभेड़ियों के व्यवहार उनके हैबिटेट के बारे में विस्तृत सर्वे कर रही है टीम ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में कई महीनों तक कैम्प किया. इस दौरान कई चौंकाने वाली जानकारी भी निकाल कर सामने आई ह. सर्वे में यह बात निकाल कर सामने आई है कि एक बार खतरा महसूस होने के बाद जीवन भर भेड़िया मांद में वापस नहीं लौटते हैं. भेड़िया आमतौर पर बकरी का शिकार करते हैं जिससे ग्रामीणों को नुकसान होता है. ग्रामीण भेड़ियों के मांद में जाल लगा देते हैं. एक बार भेड़िया को इसका एहसास होता है तो दोबारा उस इलाके में भेड़िया नहीं जाते हैं. यही कारण है कि झारखंड से निकलकर भेड़िया छत्तीसगढ़ के इलाके में चले जाते हैं.
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